Waqf Board : आख़िर क्या है यह वक्फ़ बोर्ड, कहाँ से आया ये शब्द और क्यों मचा है बवाल ?
वक्फ बोर्ड (Waqf Board) इस्लामी कानून के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण संस्था है, जिसमें संपत्ति को धार्मिक या चैरिटेबल उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित कर दिया जाता है। भारत में इसका प्रबंधन और नियमन निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
मूल अवधारणा
शब्दावली: वक्फ अरबी शब्द “वक़्फ़” (रोकना) से लिया गया है, जिसका अर्थ है संपत्ति को बेचने, खरीदने या हस्तांतरित करने पर रोक लगाकर उसे अल्लाह के नाम पर दान करना।
उद्देश्य: यह संपत्ति समाज कल्याण, धार्मिक, शैक्षणिक या सामाजिक सेवाओं (जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल) के लिए समर्पित होती है।
प्रबंधन व्यवस्था
वक्फ बोर्ड: प्रत्येक राज्य का अपना वक्फ बोर्ड होता है, जो संपत्तियों के रखरखाव, किराए, निवेश और उपयोग की देखरेख करता है।
केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) राज्य बोर्डों को नीतिगत मार्गदर्शन प्रदान करती है।
कानूनी ढांचा: 1954 का वक्फ अधिनियम: जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा पारित इस कानून ने वक्फ प्रबंधन को केंद्रीकृत और संगठित किया।
1995 और 2013 में संशोधन: 2013 के संशोधन ने बोर्डों को अधिक अधिकार दिए, जैसे अवैध कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेना और डिजिटल मैपिंग करना।
आंकड़े और प्रभाव
पैमाना: भारत में लगभग 8.7 लाख वक्फ संपत्तियाँ हैं, जो 9.4 लाख एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं। यह देश की सबसे बड़ी गैर-सरकारी भूमि होल्डिंग्स में से एक है।
उपयोग: इन संपत्तियों का उपयोग स्कूल, अस्पताल, आवासीय परिसर, कृषि भूमि और वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए किया जाता है।
विवाद और चुनौतियाँ
अवैध कब्जा: कई वक्फ भूमियों पर अवैध कब्जे की शिकायतें सामने आती रही हैं।
प्रशासनिक अक्षमता: कुछ मामलों में बोर्डों पर भ्रष्टाचार या संसाधनों के गलत इस्तेमाल के आरोप लगे हैं।
कानूनी मुद्दे: वक्फ और अन्य धार्मिक ट्रस्टों (जैसे हिंदू धर्मार्थ ट्रस्ट) के बीच नियमों में अंतर को लेकर बहस होती रही है।
महत्व वक्फ संपत्तियाँ भारत के सामाजिक-आर्थिक ढाँचे में अहम भूमिका निभाती हैं, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबों के कल्याण के क्षेत्र में। हालाँकि, इनके प्रभावी प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर सुधार की गुंजाइश बनी हुई है।
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